परमपूज्य आदि गुरु शंकराचार्य (जन्म 788 ई.) भारतीय दर्शन के अद्वितीय संत, महान दार्शनिक और अद्वैत वेदांत के प्रवर्तक थे। 🙏✨ उन्होंने अल्पायु में ही भारतवर्ष के कोने-कोने में भ्रमण कर धर्म, संस्कृति और वेदांत का पुनर्जागरण किया। शंकराचार्य जी ने यह सिद्ध किया कि "ब्रह्म सत्य है और जगत मिथ्या"। 🕉️📿
परमपूज्य आदि गुरु शंकराचार्य का जन्म केरल राज्य के कालड़ी ग्राम में एक नंबूदरी ब्राह्मण परिवार में हुआ। 👶🌸 उनके पिता शिव गुरु और माता आर्यांब थीं। बचपन से ही वे असाधारण बुद्धिमान और धर्मनिष्ठ थे। अल्प आयु में ही उन्होंने संन्यास ग्रहण किया और जीवन को वेदांत और धर्म की रक्षा के लिए समर्पित कर दिया। वे भगवान शिव के अनन्य भक्त थे। 🔱🙏
शंकराचार्य जी ने भारत की आध्यात्मिक चेतना को पुनर्जीवित किया और वेदांत दर्शन को सरल और व्यावहारिक रूप में स्थापित किया। ✨📖 उन्होंने पूरे भारत में चार मठों की स्थापना की – श्रृंगेरी, द्वारका, पुरी और ज्योतिर्मठ (उत्तराखंड), जो आज भी सनातन धर्म के चार प्रमुख स्तंभ माने जाते हैं। 🪔🕊️
परमपूज्य आदि गुरु शंकराचार्य ने अनेक ग्रंथों की रचना की जिनमें भाष्य, स्तोत्र और दार्शनिक ग्रंथ शामिल हैं। उनकी प्रसिद्ध रचनाओं में भज गोविंदम्, सौंदर्य लहरी, आत्मबोध, विवेकचूडामणि प्रमुख हैं। उन्होंने ईश्वर-भक्ति, आत्मज्ञान और अद्वैत वेदांत को एक सूत्र में बाँधकर संपूर्ण मानवता को शांति और ज्ञान का संदेश दिया। 🌟📿
परमपूज्य आदि गुरु शंकराचार्य का जीवन हमें यह सिखाता है कि सच्चा ज्ञान वही है जो हमें आत्मा और परमात्मा की एकता का अनुभव कराए।
✨ "अहं ब्रह्मास्मि – मैं ही ब्रह्म हूँ" उनका सर्वोच्च उपदेश है। ✨
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हर सनातनी वेदांती का परम कर्तव्य है कि वे परमपूज्य आदि गुरु शंकराचार्य जी की दिव्य शिक्षाओं को आत्मसात करें और समाज को उनके ज्ञान से आलोकित करें। 🪔