परमपूज्य चैतन्य महाप्रभु (जन्म 1486 ई.) गौड़ीय वैष्णव परंपरा के महान संत, भक्त और समाज सुधारक थे। 🙏✨ उन्हें भगवान श्रीकृष्ण का अवतार माना जाता है, जिन्होंने प्रेम-भक्ति, कीर्तन और हरिनाम संकीर्तन के माध्यम से भक्ति आंदोलन को नई ऊँचाई दी। उनका संदेश था – "हरि नाम ही कलियुग का सबसे बड़ा साधन है।" 🕉️📿
चैतन्य महाप्रभु का जन्म नवद्वीप (वर्तमान पश्चिम बंगाल) में हुआ। 👶🌸 उनके पिता का नाम जगन्नाथ मिश्र और माता का नाम शचि देवी था। बाल्यकाल में वे "निमाई" नाम से प्रसिद्ध थे और अद्भुत प्रतिभा व तेजस्वी बुद्धि के धनी थे। युवावस्था में ही उनका संपूर्ण जीवन भगवान श्रीकृष्ण की भक्ति और हरिनाम प्रचार के लिए समर्पित हो गया। 🙏🎶
चैतन्य महाप्रभु ने "हरे कृष्ण महा-मंत्र" का प्रचार किया और संकीर्तन आंदोलन की शुरुआत की। 🎵🪔 उन्होंने जाति-पाति, ऊँच-नीच और सामाजिक भेदभाव का विरोध करते हुए यह सिद्ध किया कि ईश्वर-भक्ति के द्वार सभी के लिए खुले हैं। ✨ उनका प्रेम-भक्ति का संदेश भारत से लेकर पूरे विश्व में फैल गया। 🌍🙏
चैतन्य महाप्रभु ने स्वयं बहुत कम ग्रंथ लिखे, परंतु उनके शिष्यों ने उनके उपदेशों और जीवन को ग्रंथों में संकलित किया। उनका जीवन और भक्ति संदेश चैतन्य चरितामृत और चैतन्य भागवत में विस्तार से वर्णित है। उन्होंने भक्ति को केवल पूजा-पाठ तक सीमित न रखकर जीवन का सार बना दिया। ✨📖
परमपूज्य चैतन्य महाप्रभु का जीवन हमें यह सिखाता है कि सच्चा धर्म केवल प्रेम और भक्ति में है।
✨ "हरे कृष्ण हरे कृष्ण, कृष्ण कृष्ण हरे हरे – हरे राम हरे राम, राम राम हरे हरे" ✨
🙏🎶🌸🕉️📿
हर सनातनी वेदांती का कर्तव्य है कि महाप्रभु के प्रेम-भक्ति संदेश को अपनाकर संसार में शांति, करुणा और भक्ति का प्रकाश फैलाए। 🪔