माँ दुर्गा भाभी (Durga Bhabhi, 1900 – 8 जनवरी 1999) भारत की स्वतंत्रता संग्राम की अदम्य नायिका थीं। उन्होंने ब्रिटिश शासन के खिलाफ छिपकर कार्य किया और अपनी साहसिक योजनाओं के माध्यम से क्रांतिकारियों को सुरक्षा और मार्गदर्शन दिया। वे विशेष रूप से भगत सिंह और उनके साथियों को बचाने और उन्हें सुरक्षित स्थानों तक पहुँचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाईं। उनकी निडरता और रणनीति उन्हें स्वतंत्रता संग्राम की अनमोल वीरांगना बनाती हैं।
माँ दुर्गा भाभी का पति भगवती चरण भी स्वतंत्रता संग्राम में सक्रिय थे। दोनों पति-पत्नी ने मिलकर क्रांतिकारियों को शरण दी, हथियार और बम पहुँचाए और ब्रिटिश पुलिस से बचने के लिए गुप्त रास्तों का उपयोग किया। उनका वैवाहिक जीवन स्वतंत्रता और देशभक्ति के प्रति समर्पण से भरा रहा, और उन्होंने कभी भी व्यक्तिगत जीवन को राष्ट्रीय कर्तव्य के सामने प्राथमिकता नहीं दी।
दुर्गा भाभी ने ब्रिटिश पुलिस और सरकारी निगरानी को चकमा देते हुए बम, बंदूकें और गोला-बारूद क्रांतिकारियों तक पहुँचाया। वे कई खतरनाक मिशनों में सक्रिय रहीं और दिल्ली, लखनऊ तथा कानपुर जैसे क्षेत्रों में छिपकर स्वतंत्रता सेनानियों का मार्गदर्शन करती रहीं। उनकी सूझबूझ और साहस की वजह से कई युवा क्रांतिकारियों को जीवन और स्वतंत्रता का मार्ग मिला।
दुर्गा भाभी ने भगत सिंह और उनके साथियों को गिरफ्तार होने से बचाने में अहम भूमिका निभाई। उन्होंने छुपने और सुरक्षित स्थानों तक पहुँचने की योजनाओं का सफलतापूर्वक संचालन किया, जिससे क्रांतिकारियों ने अपनी लड़ाई जारी रखी। उनका यह योगदान भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में अत्यंत महत्वपूर्ण है।
माँ दुर्गा भाभी केवल स्वतंत्रता सेनानी नहीं थीं, बल्कि साहस, निडरता और रणनीति की मिसाल थीं। उनका जीवन यह सिद्ध करता है कि नारी शक्ति और धैर्य किसी भी कठिन परिस्थिति में सफलता दिला सकते हैं। उनका संघर्ष और योगदान आज भी युवा और देशभक्तों के लिए प्रेरणा का स्रोत है।
माँ दुर्गा भाभी की शौर्यगाथा हमें यह सिखाती है कि देश के लिए समर्पण और साहस सर्वोपरि है। वेदांतियों, याद रखो: “बलिदान और रणनीति ही स्वतंत्रता की नींव है।” चलो, उनके आदर्शों को अपनाकर हम भी अपने जीवन में साहस, देशभक्ति और नारी शक्ति का सम्मान करें।