परमपूज्य रामानुजाचार्य (जन्म 1017 ई.) एक महान दार्शनिक, संत और वेदांत के विशिष्ट योगी थे। 🙏✨ वे श्रीवैयष्णव सम्प्रदाय के प्रवर्तक माने जाते हैं और उन्होंने विशिष्टाद्वैत वेदांत का सिद्धांत प्रतिपादित किया। रामानुजाचार्य जी का जीवन भक्ति, ज्ञान और सेवा का अनूठा मिश्रण था। 🕉
रामानुजाचार्य का जन्म तमिलनाडु के थिरुकुरुक्कु ग्राम में हुआ। 👶🌸 उनके पिता का नाम कोमटेशन और माता का नाम कानाकम्मा था। बाल्यकाल से ही वे अत्यंत बुद्धिमान और धार्मिक प्रवृत्ति के थे। उन्होंने वेद, उपनिषद और दर्शन में गहरी निपुणता प्राप्त की और भगवान नारायण के अनन्य भक्त बने। 🙏✨
रामानुजाचार्य ने वेदांत दर्शन और धर्म को समाज के लिए सरल और व्यावहारिक बनाया। ✨📖 उन्होंने भक्ति को केवल ज्ञान तक सीमित न रखते हुए जीवन में ईश्वर-समर्पण, सेवा और नैतिकता के महत्व को समझाया। उन्होंने भगवान विष्णु और नारायण भक्ति को समाज के हर वर्ग तक पहुँचाया। 🌸🕊️
रामानुजाचार्य जी ने अनेक ग्रंथों की रचना की जिनमें प्रमुख हैं – शतदर्शन सूत्र, भगवद्गीता भाष्य और श्रीभाष्य। उनके उपदेश और ग्रंथ आज भी वैष्णव संप्रदाय और भारतीय दर्शन में मार्गदर्शक माने जाते हैं। ✨📿🪔
परमपूज्य रामानुजाचार्य का जीवन हमें यह सिखाता है कि ज्ञान और भक्ति के संगम से मानव जीवन का सर्वोच्च उद्देश्य पूरा होता है।
✨ "भक्ति, सेवा और ज्ञान से ही मोक्ष प्राप्ति संभव है" ✨
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हर सनातनी वेदांती का कर्तव्य है कि रामानुजाचार्य जी के उपदेशों और भक्ति संदेश को अपनाकर समाज में प्रेम, भक्ति और ज्ञान का दीप जलाए। 🪔