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🚩माँ प्रीतिलता वाडेदार 🚩

माँ प्रीतिलता वाडेदार

परिचय

माँ प्रीतिलता वाडेदार भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की एक साहसी महिला क्रांतिकारी थीं। उन्होंने महज 21 वर्ष की उम्र में अंग्रेज़ों के विरुद्ध शस्त्र उठाया और अपने प्राणों का बलिदान देकर इतिहास में अमर हो गईं। वे बंगाल की क्रांतिकारी संगठन “चट्टगाँव विद्रोह” से जुड़ी हुई थीं।

कौन थीं माँ प्रीतिलता वाडेदार?

माँ प्रीतिलता का जन्म 5 मई 1911 को चट्टगाँव (अब बांग्लादेश) में हुआ था। उनके पिता जगबन्धु वाडेदार एक मामूली नौकरी में थे और माता प्रियंबदा वाडेदार गृहिणी थीं। बचपन से ही माँ प्रीतिलता पढ़ाई में तेज और स्वभाव से निर्भीक थीं। उन्होंने दर्शनशास्त्र में स्नातक की पढ़ाई की और शिक्षक बनीं। लेकिन उनका हृदय देश की गुलामी देख कर क्रांति की ओर झुक गया।

क्रांतिकारी जीवन

माँ प्रीतिलता वाडेदार ने मास्टरदा सूर्या सेन के नेतृत्व में चट्टगाँव शस्त्रागार लूट आंदोलन में भाग लिया। वे गुप्त बैठकों और योजनाओं का हिस्सा बनीं। अंग्रेजों के खिलाफ वे युवाओं में जोश और जागरूकता फैलाती थीं। उनका मुख्य उद्देश्य भारत को अंग्रेजों की गुलामी से मुक्त कराना था।

पहरीटाल यूरोपीय क्लब पर हमला

1932 में माँ प्रीतिलता को “पहरीटाल यूरोपीय क्लब” (जहाँ भारतीयों का प्रवेश वर्जित था) पर आक्रमण का नेतृत्व सौंपा गया। यह हमला अंग्रेजों की नस्लभेदी मानसिकता और अत्याचार के विरोध में किया गया। हमले में अंग्रेज़ों को भारी क्षति पहुँची, लेकिन अंत में माँ प्रीतिलता घिर गईं।

बलिदान

गिरफ्तारी से बचने के लिए माँ प्रीतिलता ने अपने पास रखा हुआ सायनाइड खा लिया। वे मात्र 21 वर्ष की आयु में वीरगति को प्राप्त हो गईं। उनका यह आत्मबलिदान आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा बन गया और वे बंगाल की “क्रांतिकारी नारी शक्ति” की प्रतीक बन गईं।

इतिहास में स्थान

माँ प्रीतिलता वाडेदार का नाम उन गुमनाम नायिकाओं में लिया जाता है जिन्होंने भारत की आज़ादी के लिए अपना जीवन न्यौछावर कर दिया। यद्यपि उन्हें मुख्यधारा के इतिहास में उतना स्थान नहीं दिया गया, लेकिन आज वे युवा पीढ़ी के लिए साहस और राष्ट्रभक्ति की जीवंत प्रेरणा हैं।

हमें क्या सिखाती हैं?

माँ प्रीतिलता हमें सिखाती हैं कि उम्र छोटी हो या बड़ी, यदि मन में दृढ़ निश्चय और देशभक्ति हो तो बड़े से बड़ा त्याग किया जा सकता है। उनका जीवन इस बात का प्रमाण है कि भारत की बेटियाँ भी स्वतंत्रता संग्राम की धधकती ज्वाला थीं।

✨ "वीरांगना माँ प्रीतिलता वाडेदार, आपके साहस, बलिदान और राष्ट्रप्रेम को शत्-शत् नमन।"

आपका नाम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की गाथा में सदैव स्वर्णाक्षरों में अंकित रहेगा। आपका नाम सदैव इतिहास के पन्नों और सनातनी वेदान्तियों के हृदयों में अमर रहेगा। ✨