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भारत पुत्र: राणा सांगा

छत्रपति संभाजी महाराज

राणा सांगा (संग्राम सिंह) (1478 – 1528) मेवाड़ के प्रमुख शासक और साहसी योद्धा थे। वे मेवाड़ के राजपूत साम्राज्य के गौरव और शौर्य के प्रतीक माने जाते हैं। बाल्यकाल से ही राणा सांगा वीरता, युद्धकला और नेतृत्व में निपुण थे। उनका उद्देश्य केवल अपने राज्य की सुरक्षा नहीं, बल्कि पूरे भारत की स्वतंत्रता और गौरव की रक्षा करना था।

शासन और रणनीति

राणा सांगा ने मेवाड़ और आसपास के क्षेत्रों में न्याय और शक्ति का साम्राज्य स्थापित किया। उनके शासनकाल में चित्तौड़गढ़ राजधानी और प्रशासनिक केंद्र के रूप में संपन्न हुआ। वे न केवल वीर योद्धा थे, बल्कि कुशल रणनीतिकार भी थे। उन्होंने मुगलों और अन्य आक्रांताओं के खिलाफ अनेक युद्ध लड़े और अक्सर विजयी हुए।

महत्त्वपूर्ण युद्ध और संघर्ष

राणा सांगा ने भारत में मुस्लिम आक्रमणकारियों और सुल्तानों के खिलाफ अनेक युद्ध किए। उनकी सेना की ताकत और उनकी रणनीति की वजह से कई आक्रांताओं को पराजित होना पड़ा। 1527 में पानीपत के तीसरे युद्ध में उनका सामना बाबर से हुआ। इस युद्ध में उनकी वीरता और शौर्य की मिसाल कायम हुई, हालांकि अंतिम युद्ध में वे वीरगति को प्राप्त हुए। उनकी शौर्यगाथा आज भी मेवाड़ और पूरे भारत में गर्व का प्रतीक है।

धर्म और संस्कृति का संरक्षक

राणा सांगा केवल योद्धा ही नहीं, बल्कि धर्म और संस्कृति के संरक्षक भी थे। उन्होंने अपने दरबार में कवियों, विद्वानों और कलाकारों को सम्मान दिया। उनकी न्यायप्रियता और वीरता के कारण वे अपने समय के आदर्श शासक माने जाते थे। मेवाड़ में उनके योगदान की वजह से राजपूत गौरव और सांस्कृतिक पहचान हमेशा जीवित रही।

राणा सांगा की वीरगाथा हमें यह सिखाती है कि सच्चा साहस और धर्मपरायणता समय और परिस्थितियों की सीमा से परे सदैव अमर रहते हैं। वे केवल एक योद्धा नहीं थे, बल्कि भारतभूमि के प्रहरी और धर्म के सच्चे रक्षक थे। उनकी गाथा आज भी हर भारतीय हृदय में यह संकल्प जगाती है कि जीवन का सर्वोच्च उद्देश्य कर्तव्य और धर्म की रक्षा ही है। वेदांतियों! अपने जीवन में ज्ञान की ज्योति, साहस का संकल्प और निष्ठा की दृढ़ता अपनाओ, जैसे राणा सांगा ने अपनाया था। याद रखो – सच्चा वीर वही है, जो धर्म और कर्तव्य के पथ पर आंधियों और तूफानों में भी अडिग खड़ा रहता है। आओ, उनके बलिदान और आदर्शों से प्रेरणा लेकर हम भी अपने कर्म और चेतना से समाज, संस्कृति और राष्ट्र के सच्चे रक्षक बनें। यही उनकी अमर गाथा का सच्चा अनुसरण होगा।
✨ "ज्ञान से शक्ति, धर्म से मार्गदर्शन, और साहस से विजय होती है – यही वेदांतियों का शाश्वत संदेश है।"✨