परमपूज्य संत रविदास (जन्म 1450 ई.) एक महान संत, समाज सुधारक और भक्त कवि थे। 🙏✨ वे भक्ति आंदोलन के प्रमुख स्तंभों में से एक माने जाते हैं। उनकी रचनाएँ प्रेम, समानता और ईश्वर-भक्ति से ओतप्रोत हैं। उन्होंने जाति-पांति, ऊँच-नीच और भेदभाव का विरोध करते हुए समाज को सच्चे मानव धर्म का संदेश दिया। 🕉️📿
परमपूज्य संत रविदास का जन्म वाराणसी के सीर गोवर्धन गाँव में हुआ। 👶🌸 वे एक साधारण मोची परिवार से थे, लेकिन उनके हृदय में ईश्वर-भक्ति और करुणा का असीम भंडार था। बचपन से ही वे भक्ति और सेवा में रुचि रखते थे और उनका झुकाव संतों की संगति की ओर बढ़ने लगा।वे भगवान राम के अनन्य भक्त थे।
परमपूज्य संत रविदास ने अपनी रचनाओं और भजनों के माध्यम से यह संदेश दिया कि भगवान केवल भक्ति और सच्चे प्रेम से प्रसन्न होते हैं, न कि जाति या जन्म से। ✨📖 उन्होंने समानता, एकता और प्रेम पर बल दिया। उनका भक्ति संदेश भारत के कोने-कोने तक पहुँचा और अनेक संतों व भक्तों को प्रेरित किया। 🪔🕊️
परमपूज्य संत रविदास ने कई प्रेरणादायी पद और भजन लिखे, जो आज भी गुरुग्रंथ साहिब और अन्य ग्रंथों में संकलित हैं। उनका सबसे प्रसिद्ध संदेश था – "मन चंगा तो कठौती में गंगा", जिसका अर्थ है कि यदि मन पवित्र है तो हर स्थान पर गंगा की पवित्रता का अनुभव किया जा सकता है। 🌊🕉️
परमपूज्य संत रविदास का जीवन हमें यह सिखाता है कि सच्ची भक्ति, करुणा और समानता ही मानवता का वास्तविक धर्म है।
✨ "सभी मनुष्य एक हैं, ईश्वर की नज़रों में कोई ऊँच-नीच नहीं है।" ✨
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हर सनातनी वेदांती का कर्तव्य है कि संत रविदास के उपदेशों को अपनाकर समाज में प्रेम, समानता और भक्ति का दीप जलाए। 🪔