Loading...

🕉️ परमपूज्य संत तुकाराम जी 🕉️

परमपूज्य चैतन्य महाप्रभु

परमपूज्य संत तुकाराम (जन्म 1608 ई.) महाराष्ट्र के महान संत, भक्त कवि और विठोबा के अनन्य भक्त थे। 🙏✨ वे वारी पद्धति और अभंग भक्ति के प्रमुख स्तंभ माने जाते हैं। तुकाराम जी की रचनाएँ प्रेम, भक्ति और समाज सुधार से ओतप्रोत हैं और आज भी भक्तजन के लिए मार्गदर्शक हैं। 🕉️📿

प्रारंभिक जीवन

रमपूज्य संत तुकाराम जी का जन्म महाराष्ट्र के देहू गाँव में हुआ। 👶🌸 उनके माता-पिता का नाम रमा और हरीश था। बचपन से ही वे भगवान विठोबा के अनन्य भक्त बन गए और उनका जीवन ईश्वर-भक्ति में लीन हो गया। उन्होंने साधारण जीवन जीते हुए समाज में भक्ति और मानवता का संदेश फैलाया। 🙏✨

भक्ति और समाज सेवा

रमपूज्य संत तुकाराम जी ने भगवान विठोबा की स्तुति में अभंग, कीर्तन और भजन रचें। 🎵🪔 उन्होंने जाति-पाति और सामाजिक भेदभाव का विरोध किया और हर व्यक्ति को भक्ति के मार्ग में समान समझा। उनका संदेश था कि सच्चा धर्म केवल भक्ति और प्रेम में है। 🌸🕊️

रचनाएँ और योगदान

रमपूज्य संत तुकाराम जी की प्रमुख रचनाएँ हैं – तुकाराम अभंग, गाथा और भजन संग्रह। उनके अभंग आज भी वारी यात्रा, कीर्तन और मंदिरों में गाए जाते हैं। उन्होंने महाराष्ट्र और भारत में भक्ति आंदोलन को नई ऊँचाई दी। ✨📿🪔

प्रेरणा

परमपूज्य संत तुकाराम जी का जीवन हमें यह सिखाता है कि सच्चा प्रेम और भक्ति हृदय से आती है, और मानवता में सेवा एवं करुणा ही धर्म का सार है। ✨ "विठोबा भक्ति जीवन का सर्वोच्च मार्ग है" ✨

🙏📿🌸🕉️🔥 हर सनातनी वेदांती का कर्तव्य है कि संत तुकाराम के उपदेशों और भक्ति संदेश को अपनाकर समाज में प्रेम, भक्ति और करुणा का दीप जलाए। 🪔