खुदीराम बोस भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के सबसे युवा और साहसी क्रांतिकारियों में से एक थे। वे मात्र 18 वर्ष की आयु में हँसते-हँसते फाँसी पर चढ़ गए और अमर बलिदानी बन गए। उनका साहस और देशभक्ति उन्हें इतिहास में अमर कर चुकी है।
खुदीराम बोस का जन्म 3 दिसंबर 1889 को पश्चिम बंगाल के मिदनापुर जिले के हबीबपुर गाँव में हुआ था। वे बचपन से ही तेजस्वी और न्यायप्रिय थे। विद्यालय के दिनों में ही उनके मन में देशभक्ति की भावना जाग उठी और उन्होंने क्रांतिकारी गतिविधियों से जुड़ना शुरू किया।
खुदीराम बोस ने युगांतर पार्टी से जुड़कर स्वतंत्रता संग्राम में कदम रखा। वे गुप्त पत्रक बाँटते थे और लोगों को अंग्रेज़ों के खिलाफ जागरूक करते थे। धीरे-धीरे वे बम बनाने और हथियार चलाने में दक्ष हो गए। उनकी उम्र भले ही कम थी, लेकिन उनका साहस बहुत बड़ा था।
1908 में अंग्रेज़ों के दमनकारी मजिस्ट्रेट किंग्सफोर्ड को मारने की योजना बनी, क्योंकि वह भारतीयों के साथ क्रूर व्यवहार करता था। इस मिशन पर खुदीराम बोस और प्रफुल्ल चाकी को भेजा गया। उन्होंने मुजफ्फरपुर में किंग्सफोर्ड की गाड़ी समझकर बम फेंका, लेकिन दुर्भाग्य से उसमें दो अंग्रेज़ महिलाएँ बैठी थीं जिनकी मृत्यु हो गई। इसके बाद अंग्रेज़ पुलिस ने चारों ओर से घेरा कस दिया।
बम फेंकने के बाद प्रफुल्ल चाकी ने पकड़े जाने से बचने के लिए स्वयं को गोली मार ली, लेकिन खुदीराम बोस गिरफ्तार हो गए। उस समय उनकी आयु केवल 18 वर्ष थी। अदालत में उन पर मुकदमा चला और उन्हें फाँसी की सजा सुनाई गई।
11 अगस्त 1908 को खुदीराम बोस को हँसते-हँसते फाँसी दे दी गई। जब वे फाँसी के तख्ते पर जा रहे थे, तो उनके चेहरे पर मुस्कान थी और हाथों में गीता थी। इस वीरता ने पूरे भारत में युवाओं में जोश और क्रांति की लहर भर दी।
खुदीराम बोस भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के पहले ऐसे क्रांतिकारियों में गिने जाते हैं जिन्होंने इतनी कम उम्र में सर्वोच्च बलिदान दिया। वे युवा पीढ़ी के लिए प्रेरणास्रोत बन गए और उनका नाम आज भी अमर है।
खुदीराम बोस हमें सिखाते हैं कि देश के लिए सच्चा प्रेम उम्र का मोहताज नहीं होता। अगर हृदय में दृढ़ निश्चय और साहस हो, तो छोटी सी आयु में भी बड़े से बड़ा बलिदान दिया जा सकता है। उनका जीवन युवाओं के लिए त्याग, देशभक्ति और साहस का आदर्श है।
✨ "वीर बाल क्रांतिकारी खुदीराम बोस, तुम्हारे साहस और बलिदान को शत्-शत् नमन।"
तुम्हारा नाम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में सदैव अमर रहेगा।
हम सनातनी वेदांती तुम्हारी शौर्यगाथा को दीपक की लौ की तरह जलाकर आने वाली पीढ़ियों तक पहुँचाएँगे। ✨