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मैं हूँ वेदांती - जातिविहीन परमेश्वर की सर्वश्रेष्ठ संतान

मैं किसी जाति का अंश नहीं, बल्कि स्वयं परब्रह्म की सर्वश्रेष्ठ, अद्वितीय और अनुपम रचना हूँ। जीवन में अंधविश्वास से दूर,सत्य और कर्तव्य के मार्ग पर अग्रसर।

वेदांती शक्ति में जातिवाद, अज्ञानता और अंधविश्वास जैसी कुरीतियों का कोई स्थान नहीं है। वेदांती विश्व के रक्षक हैं, जो आने वाले समय में कर्मयुग में प्रवेश करेंगे।वेदांती वे हैं जो आने वाले समय में विश्व की रक्षा का कार्य करेंगे। सभी वेदांती एक परिवार का हिस्सा हैं- जो धर्म रक्षा, राष्ट्र निर्माण, समाज कल्याण, और नैतिक मूल्यों के संरक्षण का कार्य करते हैं। हमारा उद्घोष है "मातृभूमि जिंदाबाद"। यह केवल एक उद्घोष नहीं है, बल्कि नए भारत के नए युग में प्रवेश करने का मार्ग है।

मैं मृत्युंजय वेदांती, भारत के सभी सनातनी संतानों को परमेश्वर के आदेश से निमंत्रण देता हूँ – वेदांती बनिए। भारत की सनातनी संतानें, जो इस राष्ट्र को अपनी माँ का स्थान देती हैं, मेरे साथ आएं और वेदांती सत्य से जुड़ें। वेदांती आंदोलन का हिस्सा बनें। मैं, माँ भारती की सभी सनातनी संतानों का आह्वान करता हूँ – इस राष्ट्र की मरती आत्मा को बचाने में मेरा सहयोग करें। हमारे महान देश भारत को आज जिस संकट और चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है, उसे देखते हुए हम सभी का यह कर्तव्य बनता है कि हम एकजुट होकर अपने देश की रक्षा के लिए कार्य करें। हमारी मातृभूमि भारत, जो अपने गौरवशाली इतिहास, संस्कृति, और परंपराओं के लिए जानी जाती है, आज आंतरिक और बाहरी खतरों से जूझ रही है। इन खतरों से निपटने के लिए हम सभी को अपनी व्यक्तिगत इच्छाओं और स्वार्थों को त्याग कर, एकजुटता की भावना के साथ काम करना होगा। याद रहे, भाषा और क्षेत्र हमारी पहचान नहीं हैं, हमारी पहचान हमारा राष्ट्र है। सनातन धर्म हमें यह सिखाता है कि धर्म ही हमारा पथ है, सत्य ही हमारी पहचान है और राष्ट्र की सेवा ही हमारा महानतम यज्ञ है। वेदों की गूँज और गीता का ज्ञान ही भारत की असली पहचान है। भारत की मिट्टी में तप है, त्याग है और धर्म है — इसे बचाना और आगे बढ़ाना हम सबका पवित्र कर्तव्य है। सनातन की ज्योति हमारा मार्ग है और वेदान्ती का ज्ञान हमारी शक्ति। जब हम धर्म, सत्य और राष्ट्रभक्ति को एक साथ अपनाते हैं, तभी भारत समृद्ध और सुरक्षित बनता है। आओ, मिलकर संकल्प लें कि अपने हर कर्म से हम राष्ट्र और धर्म की आत्मा को जीवित रखेंगे और गर्व से कहेंगे – हम सनातनी हैं, हम भारतीय हैं। वेदान्ती होना केवल एक उपाधि नहीं, यह जीवन की साधना है। वेदान्ती वह है जो धर्म, सत्य और राष्ट्र की सेवा को अपना कर्तव्य मानता है। वेदान्ती जीवन में त्याग, तप और समर्पण को धारण करता है और अपने कर्म से समाज को आलोकित करता है। सच्चा वेदान्ती वही है जो केवल शास्त्रों में नहीं, बल्कि अपने आचरण और राष्ट्रभक्ति में जीवन के मूल्यों की महिमा को जीवित रखता है। इसलिए आओ, हम सब मिलकर सनातन की ज्योति जलाएँ, अज्ञान का अंधकार मिटाएँ और गर्व से कहें कि हमने अपने राष्ट्र और धर्म की आत्मा को जीवित रखने में अपना योगदान दिया है।

🔥मातृभूमि जिंदाबाद, मातृभूमि जिंदाबाद, मातृभूमि जिंदाबाद, जो बोले सो निहाल, सत श्री अकाल 🔥

हमारे मार्गदर्शक

✨ भगवान गुरु नानक देव जी ✨

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भगवान गुरु नानक देव जी (जन्म 15 अप्रैल 1469 ई.) सिख धर्म के संस्थापक थे। उन्होंने मानवता, समानता और ईश्वर भक्ति का संदेश फैलाया। गुरु नानक देव जी ने जाति-पांति और सामाजिक भेदभाव का विरोध किया और सभी के लिए सच्चे धर्म की राह दिखाई। वे धार्मिक कट्टरता और अंधविश्वास के खिलाफ थे और उन्होंने यह सिखाया कि ईश्वर एक है और सभी जीव उसी के अंश हैं। गुरु नानक देव जी ने 'नाम जाप', 'कीर्तन' और 'सच्चे जीवन का पालन' करने पर जोर दिया। उनका जीवन सेवा, करुणा और समाज सुधार का प्रतीक था। उन्होंने लोगों को समानता, भाईचारा और न्याय के मार्ग पर चलने की प्रेरणा दी। उनके उपदेश आज भी लाखों लोगों के लिए मार्गदर्शन और आध्यात्मिक प्रकाश का स्रोत हैं।

✨ भगवान महावीर ✨

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भगवान महावीर (जन्म 599 ई.पू.) जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर और महान साधु थे। उन्होंने अहिंसा, सत्य, ब्रह्मचर्य और अपरिग्रह के सिद्धांतों को जीवन में अपनाया और पूरे संसार में उनका संदेश फैलाया। भगवान महावीर का जीवन भक्ति, तप और सेवा से परिपूर्ण था। उन्होंने मन, वचन और कर्म से शुद्धता पर जोर दिया और सभी जीवों के प्रति करुणा और प्रेम की शिक्षा दी। उनका मार्ग जीवन को संयम, शांति और आत्मानुशासन से भरने का है। महावीर जी ने सामाजिक भेदभाव, हिंसा और लालच के खिलाफ सतत संघर्ष किया और लोगों को धर्म, नैतिकता और आध्यात्मिक उन्नति की ओर प्रेरित किया। उनके उपदेश आज भी जैन समाज और विश्व के करोड़ों अनुयायियों के लिए मार्गदर्शन और प्रेरणा का स्रोत हैं।

✨ भगवान बुद्ध ✨

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भगवान बुद्ध (जन्म 563 ई.पू.) भारतीय मूल के महान संत, शिक्षक और बौद्ध धर्म के संस्थापक थे। उन्होंने मानव जीवन के दुःखों, कारणों और मुक्ति के मार्ग का ज्ञान दिया। भगवान बुद्ध ने ‘मध्यम मार्ग’ अपनाने और अज्ञानता, लालच, द्वेष तथा अहंकार से मुक्त होने का उपदेश दिया। उनका जीवन ध्यान, करुणा, शांति और सत्य के सिद्धांतों से परिपूर्ण था। उन्होंने सभी जीवों के प्रति करुणा और प्रेम का संदेश फैलाया और सामाजिक भेदभाव, हिंसा और अन्याय के खिलाफ शिक्षा दी। उनके उपदेश ‘धम्म’ के रूप में आज भी करोड़ों लोगों के लिए जीवन का मार्गदर्शन और आध्यात्मिक प्रकाश हैं। भगवान बुद्ध का संदेश मानवता, संयम और मानसिक शांति की ओर प्रेरित करता है।

✨ भगवान गुरु तेग बहादुर ✨

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भगवान गुरु तेग बहादुर जी (जन्म 1 अप्रैल 1621 ई.) सिख धर्म के नौवें गुरु थे। उन्होंने धर्म, मानवता और न्याय की रक्षा के लिए अपने जीवन का बलिदान दिया। जब क्रूर और अत्याचारी औरंगज़ेब ने भारत में जबरन धर्मांतरण की नीति अपनाई और कश्मीरी पंडितों को इस्लाम स्वीकारने के लिए मजबूर किया, तब गुरु तेग बहादुर जी ने उनके धर्म और आस्था की रक्षा के लिए स्वयं का बलिदान दिया। 1675 में दिल्ली के चांदनी चौक पर उन्होंने निडर होकर शहीदी स्वीकार की, लेकिन धर्म और सत्य के मार्ग से पीछे नहीं हटे। उनका यह सर्वोच्च बलिदान भारतीय इतिहास में अमर है और हर भारतीय के लिए प्रेरणा का स्रोत है। हर सनातनी हृदय से शत-शत नमन अर्पित करता है।

✨ भगवान गुरु गोबिंद सिंह ✨

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भगवान गोबिंद सिंह जी हमारे दसवें गुरु थे, जिन्होंने खालसा को सैन्य और आध्यात्मिक ताकत प्रदान की और खालसा पंथ की स्थापना की।भगवान गुरु गोविंद सिंह जी ने धार्मिक और वीरता के गीतों को लिखा, जिनमें से कई दसम ग्रंथ का हिस्सा हैं। उन्होंने अपने शिष्यों को धार्मिकता, वीरता और न्याय की शिक्षा दी।1708 में,भगवान गुरु गोविंद सिंह जी की हत्या कर दी गई थी। उन्होंने सभी खालसा को गुरु ग्रंथ साहिब का अनुसरण करने का आदेश दिया।उन्होंने धर्म की रक्षा, अन्याय के विरोध और समानता के लिए अपने जीवन का बलिदान दिया। भगवान गुरु गोबिंद सिंह जी का संदेश आज भी लाखों लोगों के लिए साहस, अनुशासन और आध्यात्मिक प्रेरणा का स्रोत है।

✨ भगवान परशुराम ✨

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भगवान परशुराम एक सनातनी योद्धा थे, जिन्हें उनकी वीरता और धर्म की रक्षा के लिए जाना जाता है। भगवान परशुराम को धर्म, न्याय, और तपस्या के प्रतीक के रूप में देखा जाता है। उन्होंने 21 बार अत्याचारी राजाओं का संहार किया। भगवान परशुराम के कार्य और शिक्षाएँ हमें यह सिखाती हैं कि हमें न्याय और धर्म की रक्षा के लिए हमेशा तत्पर रहना चाहिए।उनके उदाहरण से हम अत्याचार के खिलाफ संघर्ष करने की प्रेरणा प्राप्त करते हैं। उनका जीवन वीरता, भक्ति और समाज सुधार से परिपूर्ण था। भगवान परशुराम जी का संदेश आज भी अनुशासन, साहस और धर्मपरायणता की प्रेरणा देता है।

हमारे प्रेरणादायक आदर्श

माँ शबरी

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माँ शबरी भगवान श्रीराम की अनन्य और परम भक्ति में लीन महान भक्त थीं।उन्होंने अपनी भक्ति और समर्पण के द्वारा महानता प्राप्त की।माँ शबरी की कहानी धार्मिक ग्रंथों में भक्ति और सामाजिक समानता का महत्वपूर्ण उदाहरण है और यह दर्शाती है कि ईश्वर की सेवा और प्रेम में जाति और सामाजिक स्थिति की कोई भूमिका नहीं होती। माँ शबरी ने भगवान राम के प्रति अपनी गहरी भक्ति और प्रेम को प्रकट किया। उन्होंने अपनी साधना और भक्ति में समर्पण और धैर्य का आदर्श प्रस्तुत किया।

माँ शबरी हमारे लिए भक्ति, समर्पण और धैर्य की प्रतीक है।

महर्षि वाल्मीकि

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महर्षि वाल्मीकि को आदिकवि कहा जाता है और वे महान महाकाव्य रामायण के रचयिता हैं। प्रारंभ में वे एक डाकू के रूप में जाने जाते थे। उनकी जिंदगी के पहले हिस्से में उन्होंने अपराधी जीवन बिताया, लेकिन आत्म-परिवर्तन के बाद वे एक महान ऋषि और संत बन गए। उन्होंने समाज को यह संदेश दिया कि व्यक्ति अपने कर्मों से महान बनता है, न कि अपनी जाति या जन्म से। वे सत्य और आदर्श जीवन का मार्ग दिखाते हैं।

महर्षि वाल्मीकि ने यह सिद्ध किया कि जीवन के उद्देश्य को समझकर और उस पर अडिग रहकर मनुष्य महान लक्ष्यों की प्राप्ति कर सकता है।

महर्षि दयानन्द सरस्वती

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स्वामी दयानंद सरस्वती ने भारतीय समाज में धार्मिक और सामाजिक सुधारों की दिशा में महत्वपूर्ण कार्य किया और वे आर्य समाज के संस्थापक थे।वे एक क्रांतिकारी विचारक थे जिन्होंने समाज में व्याप्त अंधविश्वास और जातिवाद के खिलाफ आवाज उठाई और वेदों के प्रति अपनी निष्ठा को प्रमुखता दी।स्वामी दयानंद ने वेदों को अंतिम सत्य और सर्वश्रेष्ठ धार्मिक ग्रंथ मानते हुए उनकी शिक्षाओं पर जोर दिया।उन्होंने वेदों के संदेश को समाज के लिए आदर्श मानते हुए उनकी व्याख्या की और अन्य धार्मिक मतों की आलोचना की जो वेदों के विपरीत थीं।

महर्षि दयानन्द सरस्वती की शिक्षाएँ और विचार वेदांतियों को सत्य का मार्ग दिखाते रहेंगे।

हमारे राष्ट्र नायक

भारत पुत्र: महाराणा प्रताप

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महाराणा प्रताप का जन्म 9 मई 1540 को राजस्थान के कुंभलगढ़ दुर्ग में हुआ था। वे मेवाड़ के शासक राणा उदयसिंह द्वितीय और माता जयवंता बाई के पुत्र थे। प्रताप बचपन से ही पराक्रमी, स्वाभिमानी और साहसी थे। वे ऊँचे कद के, गहरे रंग के, और अत्यंत कठोर तपस्वी जीवन जीने वाले योद्धा थे। उन्होंने अपने जीवन में कभी मुग़लों के सामने आत्मसमर्पण नहीं किया।

उनकी अडिग इच्छाशक्ति और साहस हम वेदांतियों के लिए अमर आदर्श बनकर हमारा मार्गदर्शन करेंगे।

भारत पुत्र: छत्रपति शिवाजी महाराज

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छत्रपति शिवाजी महाराज भारत भूमि के महान योद्धा, कुशल प्रशासक और अदम्य साहस के प्रतीक थे। वे मराठा साम्राज्य के संस्थापक थे और अपनी अद्भुत युद्धनीति, स्वराज्य की भावना तथा प्रखर राष्ट्रप्रेम के लिए सदैव स्मरण किए जाते हैं। उनका जन्म 19 फरवरी 1630 को पुणे (महाराष्ट्र) के शिवनेरी दुर्ग में हुआ था। एक महान राष्ट्रनायक और स्वराज्य के रक्षक

उनकी रणनीति, प्रशासनिक कौशल और स्वतंत्रता की भावना वेदांतियों को अन्याय के विरोध में लड़ने का साहस प्रदान करेंगी।

माँ रानी लक्ष्मीबाई

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रानी लक्ष्मीबाई ने 1857 की प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के दौरान अदम्य साहस और वीरता के साथ ब्रिटिश सेनाओं का सामना किया और झाँसी की रक्षा के लिए अंतिम सांस तक लड़ीं। उनका अद्भुत पराक्रम आज भी प्रत्येक भारतीय को प्रेरणा देता है। नमन है ऐसी अद्वितीय नारी शक्ति को, जिनकी गाथा युगों-युगों तक अमर रहेगी। वे केवल झाँसी की रानी ही नहीं बल्कि भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की ज्योति थीं।

उनकी वीरता और साहस वेदांती शक्ति के लिए आंदोलन की प्रेरणा के प्रतीक रहेंगे।

भारत पुत्र: बिरसा मुंडा

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बिरसा मुंडा एक भारतीय स्वतंत्रता सेनानी और सनातन के लोक नायक हैं।इनका संघर्ष और नेतृत्व इतिहास में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है।उन्होंने लोगों को अपनी संस्कृति और धर्म के प्रति जागरूक किया।

उनका संघर्ष,आत्मबल और नेतृत्व वेदांतियों के मन में साहस का संचार करता रहेगा।

माँ हेलेन लेप्चा

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हेलेन लेप्चा ने ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन के खिलाफ आवाज उठाई और भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लिया। उन्होंने स्थानीय लोगों को स्वतंत्रता के महत्व के बारे में जागरूक किया और उन्हें ब्रिटिश शासन के खिलाफ संगठित किया।

ऐसी आदरणीय नारी शक्ति वेदांतियों के लिए हमेशा प्रेरणा के स्रोत रहेंगी।

भारत पुत्र: शहीद पौली फोकोन

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पौली फोकोन, असम के स्वतंत्रता संग्राम के एक प्रमुख नेता और शहीद थे। उन्होंने ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन के खिलाफ संघर्ष किया और अपने क्षेत्र की स्वतंत्रता के लिए अपना बलिदान दिया।

उनका संघर्ष,आत्मबल और नेतृत्व वेदांतियों के मन में साहस का संचार करता रहेगा।

भारत पुत्र: शूरवीर पासलथा खुआंगचेरा

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शूरवीर पासलथा खुआंगचेरा मिजोरम के सबसे बहादुर स्वतंत्रता सेनानियों में से एक थे। अपने क्षेत्र की रक्षा करते हुए, इन्होंने अपना जीवन इस राष्ट्र को समर्पित कर दिया।

उनका संघर्ष,आत्मबल और नेतृत्व वेदांतियों के मन में साहस का संचार करता रहेगा।

माँ रानी चेन्नम्मा

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रानी चेन्नम्मा कर्नाटक की एक वीर और प्रेरणादायक महिला योद्धा थीं। उन्हें भारतीय इतिहास में एक महान रानी और स्वतंत्रता सेनानी के रूप में जाना जाता है।

माँ रानी चेन्नम्मा को वेदांती शक्ति नमन करता है।

भारत पुत्र: राजा वीर पंड्या कट्टाबोम्मन

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तमिलनाडु के एक महान योद्धा, राजा वीर पंड्या कट्टाबोम्मन ने अंग्रेजों के खिलाफ विद्रोह किया। वे अपनी स्वतंत्रता और क्षेत्र की रक्षा के लिए ब्रिटिश सत्ता से लड़ते हुए शहीद हुए।

ये सदैव आदर्श बनकर वेदांतियों का आत्मबल बढ़ाएंगे।

भारत पुत्र: डॉ. बी. आर. अंबेडकर

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डॉ. बी. आर. अंबेडकर,एक प्रमुख भारतीय शक्ति सुधारक,विधिवेत्ता, अर्थशास्त्री, राजनेता जिन्होंने भारत के संविधान की रचना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिसमें समानता, न्याय और स्वतंत्रता के सिद्धांतों को प्रमुखता दी।इनका संघर्ष सराहनीय है।

बाबासाहेब का संघर्ष वेदांतियों को जीवन में अपनों के लिए लड़ने का मार्ग दिखाता रहेगा।

भारत पुत्र: बांके चमार

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बांके चमार ने अपने नेतृत्व में एक सशस्त्र विद्रोह का आयोजन किया, जिसमें उन्होंने अंग्रेजी सत्ता और उनके समर्थक जमींदारों के खिलाफ लड़ाई लड़ी। अंग्रेजों द्वारा लागू किए गए कठोर नियमों और नीतियों के खिलाफ बांके चमार ने खुलकर विरोध किया।

बांके चमार की बहादुरी और संघर्ष वेदांतियों के लिए प्रेरणा का स्रोत रहेगा।

भारत पुत्र: भगत सिंह

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भगत सिंह भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के एक महान क्रांतिकारी थे, जिनका नाम देशभक्ति, साहस और बलिदान का पर्याय बन चुका है। भगत सिंह, अमर हैं और रहेंगे।भगत सिंह अमर थे, हैं और रहेंगे।इनका राष्ट्र के प्रति आत्म बलिदान उच्चतम आदर्श को दर्शाती है।

उनका संघर्ष,आत्मबल और नेतृत्व वेदांतियों के मन में साहस का संचार करता रहेगा।

भारत पुत्र: वीर सावरकर

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सावरकर का भारतीय इतिहास में योगदान व्यापक और बहुआयामी था। उन्होंने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के लिए विदेशी शासन के खिलाफ विद्रोह का आह्वान किया और भारत को ब्रिटिश उपनिवेश से मुक्त कराने के लिए कई क्रांतिकारी गतिविधियों में शामिल हुए। उन्हें ब्रिटिश सरकार द्वारा अंडमान और निकोबार द्वीप समूह की सेल्यूलर जेल में काला पानी की सजा दी गई थी, जहां उन्होंने अपने जीवन के कई वर्ष बिताए।वीर सावरकर को वेदांती इतिहास सदा याद रखेगा।

वीर सावरकर वेदांतियों के लिए अमर प्रेरणा स्रोत हैं।

भारत पुत्र: चंद्रशेखर आजाद

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चंद्रशेखर आजाद भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के एक प्रमुख क्रांतिकारी थे, जिनका नाम भारतीय इतिहास में साहस, समर्पण, और स्वतंत्रता के लिए संघर्ष के प्रतीक के रूप में लिया जाता है। उनका प्रसिद्ध कथन, "दुश्मन की गोलियों का हम सामना करेंगे, आजाद ही रहे हैं, आजाद ही रहेंगे," उनकी अटूट देशभक्ति और आत्मबलिदान की भावना को दर्शाता है।चंद्रशेखर आजाद ने अपने जीवन को देश के लिए समर्पित कर दिया और अपने अंतिम समय तक ब्रिटिश पुलिस से संघर्ष किया।

उनका जीवन हम वेदांतियों के लिए हमेशा प्रेरणा का स्रोत रहेगा।

भारत पुत्र:नेताजी सुभाष चंद्र बोस

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नेताजी का भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में महत्वपूर्ण योगदान रहा, विशेष रूप से उनकी सशस्त्र क्रांति के प्रति समर्पण और भारतीय राष्ट्रीय सेना (INA) की स्थापना के माध्यम से।बोस का दृष्टिकोण महात्मा गांधी के अहिंसात्मक आंदोलन से भिन्न था। वे मानते थे कि भारत को स्वतंत्रता दिलाने के लिए सशस्त्र संघर्ष आवश्यक है। उनका प्रसिद्ध नारा, "तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आज़ादी दूंगा," स्वतंत्रता संग्राम के दौरान एक प्रेरणा का स्रोत बन गया।

नेताजी का देश के लिए किया गया संघर्ष वेदांतियों के लिए नए मार्ग खोलेगा।

सत्य से परिचय

Vedanti  Satya

वीडियो शीर्षक:वेदांती बनिए - राष्ट्र और शक्ति की सेवा में अपने कर्तव्यों को निभाएं।

विवरण: मैं मृत्युंजय वेदांती , परब्रह्म के दिव्य आदेश से, सम्पूर्ण भारत के प्रत्येक सनातनी को पुकारता हूँ! उठो, जागो और वेदांती पथ पर अग्रसर हो जाओ।यह पथ साहस का है, यह पथ धर्म का है, यह पथ शक्ति और आत्मबल का है। आओ मिलकर संकल्प लें कि हम अपने जीवन को धर्म, समाज कल्याण और राष्ट्र सेवा के लिए समर्पित करेंगे। अपनी आत्मा की अग्नि प्रज्वलित करो, साहस को अपना अस्त्र बनाओ और धर्म, राष्ट्र तथा समाज कल्याण के पवित्र कार्यों में मेरे साथ कंधे से कंधा मिलाकर जुड़ जाओ।

Vedanti  Satya

वीडियो शीर्षक: कलावा बांधना-अंधविश्वास या सनातन विज्ञान? सच क्या है?

विवरण:क्या कलावा बांधने का आधार सिर्फ धार्मिक है या इसके पीछे सनातन विज्ञान काम कर रहा है। सनातन विज्ञान ने ऐसे बहुत से कार्य किए हैं जिनका समय-समय पर आधुनिक विज्ञान के माध्यम से सत्यता का प्रमाण मिलता रहता है। हमें अपने पूर्वजों के ज्ञान पर संदेह करने के बजाय उनके पीछे छिपे कारणों को जानना चाहिए। मेरा प्रयास है कि आप लोगों को प्राचीन विज्ञान से परिचित कराऊँ।

Vedanti  Satya

वीडियो शीर्षक: व्रत (उपवास), सनातन धर्म का विज्ञान या अंधविश्वास — इसकी सच्चाई क्या है?

विवरण:व्रत का अर्थ होता है किसी विशेष उद्देश्य या आस्था के साथ खान-पान या अन्य दैनिक गतिविधियों में संयम रखना। यह धार्मिक अनुष्ठान प्राचीन समय से सनातन धर्म और अन्य संस्कृतियों में प्रचलित रहा है।हमें समझना है कि क्या यह किसी वैज्ञानिक आधार, प्रमाण या तर्क पर आधारित है?

Black Cat

वीडियो शीर्षक: काली बिल्ली का रास्ता काटना: शुभ या अशुभ?

विवरण: आधुनिक विज्ञान और तर्क के आधार पर, काली बिल्ली का रास्ता काटना सिर्फ एक संयोग है और इसका किसी भी प्रकार के शुभ या अशुभ घटनाओं से कोई संबंध नहीं है।

Vedanti  Satya

वीडियो शीर्षक: मुहूर्त का व्यक्ति पर प्रभाव- सच या मिथक?

विवरण: मुहूर्त सनातन संस्कृति का हिस्सा रहा है, परंतु हर काम के लिए मुहूर्त पर निर्भर रहना उसी सनातन परंपरा का अपमान है। आइए समझते हैं इसके पीछे का सत्य क्या है।

Vedanti  Satya

वीडियो शीर्षक: घर से निकलते समय विधवा या बांझ महिला का दिखना अशुभ है? सच क्या है?

विवरण: विधवा या बाँझ स्त्री को देखना अशुभ कैसे, जबकि पुरुष पर यह बात लागू न हो? अगर पति के मरने से स्त्री अशुभ हो जाती है, तो पत्नी के मरने पर पुरुष को अशुभ क्यों न कहा जाए?

Vedanti  Satya

वीडियो शीर्षक: रात को झाड़ू लगाने से माता लक्ष्मी हमारे घर से चली जाती हैं: क्या है सच?

विवरण: यह मान्यता कि रात में झाड़ू लगाने से माँ लक्ष्मी नाराज़ हो जाती हैं, एक प्रकार का अंधविश्वास है। दरअसल, सफ़ाई का संबंध स्वच्छता और स्वास्थ्य से है, और कोई भी ईश्वर या देवी-देवता स्वच्छता से नाराज़ नहीं हो सकते।

Vedanti  Satya

वीडियो शीर्षक:क्या उत्तर दिशा में सोना पितरों का अपमान है या सनातन विज्ञान? सच क्या है?

विवरण: उत्तरी दिशा में सोना पितरों का अपमान है या सनातन विज्ञान? हमारे पूर्वजों के इस महान विचार के पीछे कौन सा वैज्ञानिक कारण था, इसे समझना बहुत ज़रूरी है। यदि हम सत्य तक नहीं पहुँच पाते, तो यह हमारे महान पूर्वजों का अपमान होगा।

Vedanti  Satya

वीडियो शीर्षक:समान गोत्र विवाह- अंधविश्वास या वैज्ञानिक सत्य? जानिए इसके पीछे का सामाजिक कारण और वैज्ञानिक आधार

विवरण: समान गोत्र विवाह का निषेध, प्राचीन सामाजिक संरचना का हिस्सा था, इसमें वैज्ञानिक तर्क भी निहित थे। इसे केवल अंधविश्वास के रूप में खारिज करना शक्ति की प्राचीन और वैज्ञानिक समझ को कम आंकना होगा।

वेदांती धर्मरक्षक

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धर्म रक्षा

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राष्ट्र निर्माण

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समाज कल्याण

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नैतिक मूल्य संरक्षण

वेदांतियों के लिए संदेश