विवरण: राजा विक्रमादित्य (लगभग 1वीं शताब्दी ई.) उज्जैन के प्रसिद्ध शासक और गुर्जर/सौराष्ट्र वंश के महान राजा थे। उन्हें न्यायप्रिय, साहसी और धर्मपरायण शासक माना जाता है। बाल्यकाल से ही राजा विक्रमादित्य ने विद्या, न्याय और युद्धकला का अभ्यास किया, ताकि वे अपने राज्य और प्रजा की रक्षा कर सकें।
विवरण: सम्राट अशोक महान (304–232 ईसा पूर्व) मौर्य साम्राज्य के महान सम्राट और भारतीय इतिहास के सबसे न्यायप्रिय एवं धर्मपरायण शासक थे।वे बाल्यकाल से ही बुद्धिमान, साहसी और धर्मनिष्ठ थे। अशोक ने अपने जीवन में राज्य की सुरक्षा, जनता की भलाई और समाज के कल्याण के लिए कई प्रयास किए। उनका शासनकाल भारतीय इतिहास में न्याय, शांति और सांस्कृतिक विकास का प्रतीक माना जाता है।
विवरण: सम्राट हर्षवर्धन (606–647 ईस्वी) भारत के महान सम्राटों में से एक थे।वे पुष्यभूति वंश के शासक थे और अपनी वीरता, धर्मपरायणता और साहित्यप्रेम के लिए प्रसिद्ध थे। हर्षवर्धन ने अपने साम्राज्य को न केवल शक्ति और प्रशासन से मजबूत किया, बल्कि संस्कृति, शिक्षा और धर्म को भी नई ऊँचाइयाँ दीं।उनका शासनकाल उत्तर भारत के लिए शांति, समृद्धि और सांस्कृतिक उत्कर्ष का युग माना जाता है।
🚩 छत्रपति संभाजी महाराज (Sambhaji Maharaj) – वीर भारत-पुत्र 🚩
विवरण: छत्रपति संभाजी महाराज (14 मई 1657 – 11 मार्च 1689) छत्रपति शिवाजी महाराज और उनकी धर्मपत्नी साईबाई के सुपुत्र थे। वे मराठा साम्राज्य के द्वितीय छत्रपति थे। बचपन से ही उनका व्यक्तित्व साहसी, तेजस्वी और विद्वान था। वे संस्कृत, मराठी, फारसी और हिंदी जैसी अनेक भाषाओं के ज्ञाता थे।
विवरण:पृथ्वीराज चौहान भारत के एक वीर राजपूत सम्राट थे। वे चौहान वंश के सबसे प्रसिद्ध शासक माने जाते हैं। उन्होंने अपने शासन काल में दिल्ली और अजमेर पर राज किया। उन्हें बहादुरी, न्यायप्रियता और वीरता के लिए जाना जाता है।
विवरण: राणा हम्मीर मेवाड़ के गहलोत वंश के वीर और न्यायप्रिय शासक थे। उन्हें मेवाड़ की स्वतंत्रता को पुनः स्थापित करने का श्रेय जाता है। उनके शासनकाल में मेवाड़ ने राजनीतिक और सैन्य दोनों ही क्षेत्रों में महत्वपूर्ण उपलब्धियाँ हासिल कीं।
विवरण: राणा सांगा (संग्राम सिंह) (1478 – 1528) मेवाड़ के प्रमुख शासक और साहसी योद्धा थे। वे मेवाड़ के राजपूत साम्राज्य के गौरव और शौर्य के प्रतीक माने जाते हैं। बाल्यकाल से ही राणा सांगा वीरता, युद्धकला और नेतृत्व में निपुण थे। उनका उद्देश्य केवल अपने राज्य की सुरक्षा नहीं, बल्कि पूरे भारत की स्वतंत्रता और गौरव की रक्षा करना था।
विवरण: कृष्णदेवराय विजयनगर साम्राज्य के सबसे शक्तिशाली और प्रसिद्ध शासकों में से एक थे। उनका शासनकाल 1509 से 1529 तक रहा। कृष्णदेवराय ने अपने साम्राज्य में प्रशासन को मजबूत किया और व्यापार को बढ़ावा दिया, जिससे आर्थिक स्थिति में सुधार हुआ।
विवरण: लचित बोरफुकन ने कई बार मुगलों के साथ युद्ध करके उन्हें हराया। लचित बोरफुकन को भारत के उत्तर-पूर्वी प्रांत का शिवाजी कहा जाता है। लचित बोरफुकन ने मुगलों से युद्ध के बाद उनके कब्जे से गुवाहाटी को छुड़ाया। गुवाहाटी को फिर से हासिल करने के लिए मुगलों ने अहोम साम्राज्य के खिलाफ सराईघाट की लड़ाई लड़ी थी।