विवरण: मंगल पांडे (19 जुलाई 1827 – 8 अप्रैल 1857) भारत के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के अग्रदूत और वीर सपूत थे। वे बलिया जिले के नगवा गाँव में जन्मे और ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी की 34वीं बंगाल नेटिव इन्फैंट्री में सिपाही बने। उन्होंने भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन की चिंगारी जलाने का कार्य किया और अंग्रेजी सत्ता को चुनौती दी।
🚩 भारत पुत्र: वीर कुंवर सिंह 🚩
विवरण: वीर कुंवर सिंह (1777 – 26 अप्रैल 1858) 1857 के प्रथम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के महानायक और शौर्य के प्रतीक थे। वे बिहार के जगदीशपुर (आरा) के राजपूत जमींदार और भोजपुर के महाराजा थे। 80 वर्ष की आयु में भी उन्होंने अंग्रेजों के विरुद्ध अद्भुत साहस और पराक्रम दिखाकर यह सिद्ध किया कि स्वतंत्रता की ज्योति कभी मंद नहीं हो सकती।
🚩भारत पुत्र: तात्या टोपे (रामचंद्र पांडुरंग तोपे)🚩
विवरण: तात्या टोपे (1814 – 18 अप्रैल 1859) 1857 के प्रथम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के अमर वीर योद्धा और महान क्रांतिकारी थे। वे नाना साहेब पेशवा के विश्वासपात्र सेनापति रहे और अपनी रणकौशल, साहस और अदम्य देशभक्ति के कारण अंग्रेजों के लिए सबसे बड़ी चुनौती बने। तात्या टोपे का असली नाम रामचंद्र पांडुरंग टोपी था।
विवरण: राजा नाहर सिंह (1821 – 9 जनवरी 1858) 1857 के प्रथम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के वीर योद्धा और बल्लभगढ़ (वर्तमान हरियाणा) के जाट राजा थे। वे स्वतंत्रता के लिए प्राण न्योछावर करने वाले उन अमर शहीदों में शामिल हैं, जिनकी गाथा आज भी लोगों के हृदय को प्रेरित करती है।
विवरण: अमर सिंह (1859) बिहार के जगदीशपुर के वीर शासक और 1857 के प्रथम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के महानायक बाबू कुंवर सिंह के छोटे भाई थे। उन्होंने अपने बड़े भाई के साथ मिलकर अंग्रेजों के विरुद्ध अदम्य साहस दिखाया और देश की स्वतंत्रता की लड़ाई में महत्वपूर्ण योगदान दिया।
🚩भारत पुत्र: नाना साहेब पेशवा 🚩
विवरण: नाना साहेब पेशवा (1824 – 1859 के बाद लापता) 1857 के प्रथम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के महानायक थे। उनका असली नाम **धुंडु पंत** था। वे मराठा साम्राज्य के अंतिम पेशवा बाजीराव द्वितीय के दत्तक पुत्र थे। अंग्रेजों ने उनकी पेंशन बंद कर दी और पेशवाई की उपाधि को मान्यता नहीं दी, जिससे वे अंग्रेजों के विरुद्ध क्रांति के प्रबल नेता बने।
🚩भारत पुत्र: मास्टरदा सूर्य सेन🚩
विवरण: मास्टरदा सूर्य सेन भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के महान क्रांतिकारी और चट्टगाँव शस्त्रागार विद्रोह (1930) के प्रमुख नायक थे। वे एक शिक्षक होते हुए भी युवाओं में राष्ट्रप्रेम और क्रांतिकारी विचार भरने का कार्य करते थे। उनका नेतृत्व और बलिदान उन्हें इतिहास में अमर कर गया।
🚩 भारत पुत्र: गोपाल चंद्र मुखोपाध्याय 🚩
विवरण: गोपाल चंद्र मुखोपाध्याय, जिन्हें लोकप्रिय रूप से “गोपाल पाठा” कहा जाता था, बंगाल के एक प्रसिद्ध समाजसेवी, राष्ट्रनिष्ठ और सनातन समाज के रक्षक थे। वे 1946 के कोलकाता दंगों के दौरान सनातन समाज की रक्षा के लिए खड़े हुए और आत्मरक्षा के संगठित प्रयासों के लिए जाने जाते हैं।